갑자기 나타난 천마. 핵을 맞고도 죽지 않았다. 세계는 인신공양을 시작했고, 척준경 후손 척성동 박사는 결단을 내렸는데.
깨어나 보니, 척준경이라고?
짐은 살아야겠다. 나는 멸국의 왕이자, 인의 천마. 네 조상들이 나를 여기에 있게 하였으니, 마땅히 지금 너희들이 나를 책임지거라.
제목 | 날짜 | 조회 | 추천 | 글자수 | |
---|---|---|---|---|---|
24 | 15 | 24.01.27 | 198 | 3 | 12쪽 |
23 | 14 | 24.01.26 | 236 | 4 | 16쪽 |
22 | 13 | 24.01.25 | 241 | 3 | 12쪽 |
21 | 12 | 24.01.24 | 247 | 3 | 11쪽 |
20 | 11 | 24.01.23 | 259 | 4 | 13쪽 |
19 | 10 | 24.01.22 | 276 | 5 | 11쪽 |
18 | 9 +1 | 24.01.21 | 300 | 5 | 12쪽 |
17 | 8-2 | 24.01.20 | 308 | 4 | 13쪽 |
16 | 8-1 | 24.01.19 | 338 | 4 | 13쪽 |
15 | 7-2 | 24.01.18 | 331 | 6 | 10쪽 |
14 | 7-1 | 24.01.17 | 351 | 7 | 10쪽 |
13 | 6-2 | 24.01.16 | 362 | 8 | 12쪽 |
12 | 6-1 | 24.01.15 | 383 | 7 | 12쪽 |
11 | 5 | 24.01.14 | 407 | 7 | 12쪽 |
10 | 4-2 | 24.01.13 | 397 | 7 | 11쪽 |
9 | 4-1 | 24.01.12 | 459 | 6 | 12쪽 |
8 | 3 | 24.01.11 | 506 | 7 | 11쪽 |
7 | 2 | 24.01.10 | 593 | 7 | 15쪽 |
6 | 1 | 24.01.09 | 709 | 8 | 15쪽 |
5 | 프롤로그.5 | 24.01.08 | 701 | 10 | 11쪽 |
4 | 프롤로그.4 | 24.01.07 | 772 | 8 | 9쪽 |
3 | 프롤로그.3 +1 | 24.01.06 | 979 | 9 | 15쪽 |
2 | 프롤로그.2 | 24.01.05 | 1,245 | 10 | 13쪽 |
1 | 프롤로그.1 | 24.01.04 | 1,504 | 20 | 6쪽 |