- 작가의말
<삼국연의>를 토대로 한 글이어서 역사적 사실과 다른 부분도 많으니
이 점 참고해서 봐 주세요.
처음 써보는 글이라 무척 떨립니다.
혹여 잘못된 부분은 가차없이 지적 바라고
부족한 필력이지만 많은 격려 부탁 드립니다.
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<삼국연의>를 토대로 한 글이어서 역사적 사실과 다른 부분도 많으니
이 점 참고해서 봐 주세요.
처음 써보는 글이라 무척 떨립니다.
혹여 잘못된 부분은 가차없이 지적 바라고
부족한 필력이지만 많은 격려 부탁 드립니다.
주인공이 과거에서 활약 하는거야 그렇다고 하지만 말도 안되게
전략이랑 전술이 뛰어나게 나오고 무슨 전쟁광도 아니고 1년도 못
참아서 전쟁을 어떻게 하면 일으킬까 고민하는 모습도 정말 보기 힘드네요
그리고 무슨 조조가 우습게 보일정도로 야비하고 비열하게만 나오는것도 그렇고요
군사 훈련 한번 안하면서 소모되는 군사에 비해 정예병은 계속 튀어나오고
아무리 소설이라지만 어느정도 개연성은 있어야 하지 않나요. 시간을 두고 군사를
모집하고 훈련 하는 모습은 한번도 안나오네요.. 그리고 현대에 있다 과거에 갔으면서
사람 목숨을 무슨 잡초 보듯이 우습게 소모하는것도 안습하네요
지금까지 읽어본 수많은 삼국지 소설중에서 손꼽히게 말이 안되는 소설입니다. 필력 자체는 괜찮으신데 주인공 설정을 너무 이상하게하셨습니다. 중문학을 석,박사까지 한 사람이 전반적인 시대 배경을 모르면 어찌합니까. 연의 배경이라고 하셨는데, 중문학에서는 정사를 배울텐데... 연의라 해도 시대적 배경은 절대적입니다. 고구려시대에 퍽이나 뛰어난 기술이 있었겠습니다. 조잡한 수준의 무기들이 전부이죠. 당시 인구를 고려한 현실적인 병력,경제 시스템을 통째로 갈아엎으셨습니다. 굉장히 비현실적으로요. 그리고 중문학자라 하여도, 오히려 중문학자이기에 당시 시대를 단지 게임폐인같은 사람들 보다 훨씬 잘 알아야합니다. 단지 문학 따위를 조금 안다고 세상이 풀려나가지는않습니다. 소재는 참신했지만, 주인공을 똑바로 풀어나가지를 않으셨습니다. 전문인으로서의 능력을 전혀 활용못하는(있는지도 의심스럽지만) 소설을 좋아하신다면 추천드립니다.
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463 | 100 G 양굉과 사마랑 +13 | 16.10.10 | 1,115 | 60 | 11쪽 | |
462 | 100 G 조조의 거짓 죽음 +8 | 16.10.02 | 1,132 | 49 | 12쪽 | |
461 | 100 G 다시 만난 두 간웅 +11 | 16.09.27 | 1,168 | 52 | 12쪽 | |
460 | 100 G 요새 함곡관 +9 | 16.09.21 | 1,161 | 54 | 12쪽 | |
459 | 100 G 조조, 후계자를 세우다 +10 | 16.09.12 | 1,213 | 68 | 11쪽 | |
458 | 100 G 병세가 깊어진 조조 +14 | 16.09.06 | 1,216 | 76 | 12쪽 | |
457 | 100 G 마등과 한수를 이간하다 +4 | 16.09.04 | 1,219 | 64 | 12쪽 | |
456 | 100 G 조조와 유비의 동맹 +13 | 16.09.01 | 1,285 | 71 | 13쪽 | |
455 | 100 G 8년 만의 해후 +19 | 16.08.30 | 1,321 | 80 | 13쪽 | |
454 | 100 G 유기의 도주 +6 | 16.08.27 | 1,256 | 68 | 11쪽 | |
453 | 100 G 유기의 천려일실 +2 | 16.08.25 | 1,252 | 65 | 12쪽 | |
452 | 100 G 형주의 별이 지다 +5 | 16.08.23 | 1,290 | 72 | 12쪽 | |
451 | 100 G 양동 작전 +10 | 16.08.18 | 1,254 | 71 | 12쪽 | |
450 | 100 G 양양으로 진격하다(2) +5 | 16.08.16 | 1,253 | 70 | 12쪽 | |
449 | 100 G 양양으로 진격하다 +4 | 16.08.13 | 1,257 | 62 | 12쪽 | |
448 | 100 G 육양 전투 +8 | 16.08.11 | 1,256 | 68 | 12쪽 | |
447 | 100 G 형주 정벌전 +10 | 16.08.06 | 1,269 | 80 | 12쪽 | |
446 | 100 G 꼬리를 드러내다(2) +7 | 16.08.02 | 1,259 | 78 | 12쪽 | |
445 | 100 G 꼬리를 드러내다 +7 | 16.08.01 | 1,258 | 69 | 12쪽 | |
444 | 100 G 난처해진 장송 +6 | 16.07.28 | 1,263 | 71 | 12쪽 | |
443 | 100 G 익주로 눈을 돌리다 +8 | 16.07.25 | 1,287 | 71 | 11쪽 | |
442 | 100 G 조조의 고민 +11 | 16.07.22 | 1,285 | 72 | 12쪽 | |
441 | 100 G 드디어 근거지를 얻다 +11 | 16.07.21 | 1,333 | 69 | 12쪽 | |
440 | 100 G 관중 전투 +17 | 16.07.20 | 1,283 | 74 | 12쪽 | |
439 | 100 G 시상 전투(13) +16 | 16.07.18 | 1,283 | 66 | 12쪽 | |
438 | 100 G 시상 전투(12) +7 | 16.07.15 | 1,249 | 74 | 12쪽 | |
437 | 100 G 시상 전투(11) +6 | 16.07.14 | 1,247 | 70 | 12쪽 | |
436 | 100 G 시상 전투(10) +9 | 16.07.12 | 1,255 | 66 | 12쪽 | |
435 | 100 G 시상 전투(9) +9 | 16.07.11 | 1,255 | 68 | 12쪽 | |
434 | 100 G 시상 전투(8) +19 | 16.07.08 | 1,269 | 74 | 13쪽 | |
433 | 100 G 시상 전투(7) +7 | 16.07.06 | 1,268 | 65 | 12쪽 | |
432 | 100 G 시상 전투(6) +8 | 16.07.04 | 1,280 | 64 | 12쪽 | |
431 | 100 G 시상 전투(5) +10 | 16.06.30 | 1,304 | 62 | 12쪽 | |
430 | 100 G 시상 전투(4) +6 | 16.06.27 | 1,312 | 67 | 12쪽 | |
429 | 100 G 시상 전투(3) +6 | 16.06.23 | 1,331 | 71 | 12쪽 | |
428 | 100 G 시상 전투(2) +5 | 16.06.22 | 1,332 | 75 | 11쪽 | |
427 | 100 G 시상 전투(1) +4 | 16.06.20 | 1,351 | 80 | 12쪽 | |
426 | 100 G 괄목상대(2) +13 | 16.06.17 | 1,366 | 73 | 12쪽 | |
425 | 100 G 괄목상대(1) +12 | 16.06.16 | 1,384 | 80 | 12쪽 | |
424 | 100 G 애송이의 물밑 공작 +6 | 16.06.14 | 1,353 | 65 | 11쪽 | |
423 | 100 G 유기를 속이다 +20 | 16.06.13 | 1,367 | 67 | 12쪽 | |
422 | 100 G 뜻밖의 만남 +17 | 16.06.09 | 1,399 | 81 | 12쪽 | |
421 | 100 G 형주로 간 양징 +6 | 16.06.07 | 1,407 | 77 | 12쪽 | |
420 | 100 G 부전자전 +17 | 16.06.06 | 1,448 | 84 | 12쪽 | |
419 | 100 G 조조와 유비, 한중에서 격돌하다 +31 | 16.06.04 | 1,469 | 74 | 12쪽 | |
418 | 100 G 오환과의 대결(2) +11 | 16.06.02 | 1,434 | 78 | 12쪽 | |
417 | 100 G 오환과의 대결(1) +13 | 16.06.01 | 1,419 | 81 | 12쪽 | |
416 | 100 G 유주의 명사 +9 | 16.05.31 | 1,464 | 85 | 12쪽 | |
415 | 100 G 남피로 출격하다 +12 | 16.05.30 | 1,460 | 78 | 11쪽 | |
414 | 100 G 업성 함락 이후 +17 | 16.05.27 | 1,534 | 84 | 12쪽 | |
413 | 100 G 원담이 투항을 청하다(2) +40 | 16.05.26 | 1,479 | 84 | 11쪽 | |
412 | 100 G 원담이 투항을 청하다(1) +15 | 16.05.25 | 1,463 | 78 | 12쪽 | |
411 | 100 G 수몰된 업성 +9 | 16.05.24 | 1,466 | 75 | 12쪽 | |
410 | 100 G 마지막 일격을 준비하다(3) +6 | 16.05.23 | 1,450 | 88 | 12쪽 | |
409 | 100 G 마지막 일격을 준비하다(2) +6 | 16.05.20 | 1,454 | 71 | 12쪽 | |
408 | 100 G 마지막 일격을 준비하다(1) +6 | 16.05.19 | 1,468 | 73 | 12쪽 | |
407 | 100 G 장기의 거짓 편지 +7 | 16.05.17 | 1,468 | 79 | 12쪽 | |
406 | 100 G 한단을 기습하다(3) +9 | 16.05.16 | 1,531 | 88 | 12쪽 | |
405 | 100 G 한단을 기습하다(2) +7 | 16.05.12 | 1,537 | 84 | 12쪽 | |
404 | 100 G 한단을 기습하다(1) +9 | 16.05.11 | 1,555 | 85 | 12쪽 | |
403 | 100 G 인중지룡(人中之龍)(2) +12 | 16.05.10 | 1,600 | 81 | 12쪽 | |
402 | 100 G 인중지룡(人中之龍)(1) +15 | 16.05.09 | 1,606 | 91 | 11쪽 | |
401 | 100 G 한단 전투 +7 | 16.05.06 | 1,551 | 81 | 12쪽 | |
400 | 100 G 분노가 폭발하다 +12 | 16.05.05 | 1,573 | 86 | 12쪽 | |
399 | 100 G 연속된 불운 +4 | 16.05.03 | 1,568 | 81 | 12쪽 | |
398 | 100 G 원담과 고간을 이간하다 +8 | 16.05.02 | 1,574 | 86 | 11쪽 | |
397 | 100 G 원담의 수성을 유도하다 +10 | 16.04.29 | 1,607 | 94 | 13쪽 | |
396 | 100 G 기주 정벌 전쟁의 서막 +9 | 16.04.27 | 1,634 | 99 | 12쪽 | |
395 | 100 G 만반의 준비 +12 | 16.04.25 | 1,647 | 103 | 12쪽 | |
394 | 100 G 재진격(2) +19 | 16.04.24 | 1,657 | 95 | 12쪽 | |
393 | 100 G 재진격(1) +11 | 16.04.22 | 1,665 | 104 | 12쪽 | |
392 | 100 G 끊이지 않는 전화(戰火) +17 | 16.04.21 | 1,681 | 92 | 12쪽 | |
391 | 100 G 완성 전투(2) +7 | 16.04.20 | 1,667 | 102 | 12쪽 | |
390 | 100 G 완성 전투(1) +6 | 16.04.19 | 1,673 | 102 | 12쪽 | |
389 | 100 G 은혜에 보답하다 +15 | 16.04.17 | 1,738 | 99 | 12쪽 | |
388 | 100 G 박망 전투(2) +10 | 16.04.15 | 1,698 | 102 | 12쪽 | |
387 | 100 G 박망 전투(1) +15 | 16.04.13 | 1,692 | 99 | 11쪽 | |
386 | 100 G 일진일퇴 +4 | 16.04.11 | 1,686 | 96 | 12쪽 | |
385 | 100 G 도응, 형주로 출격하다 +9 | 16.04.09 | 1,719 | 98 | 11쪽 | |
384 | 100 G 회맹 의식 +10 | 16.04.07 | 1,705 | 92 | 12쪽 | |
383 | 100 G 자중지란 +16 | 16.04.05 | 1,734 | 100 | 12쪽 | |
382 | 100 G 반도응 연맹 +16 | 16.04.04 | 1,755 | 98 | 13쪽 | |
381 | 100 G 도응과 원상, 균열의 조짐을 보이다 +14 | 16.04.03 | 1,768 | 96 | 12쪽 | |
380 | 100 G 공명의 유계(遺計) +18 | 16.04.02 | 1,822 | 99 | 12쪽 | |
379 | 100 G 유비를 위해… +18 | 16.04.01 | 1,801 | 87 | 12쪽 | |
378 | 100 G 양양으로 간 유비(5) +16 | 16.03.30 | 1,782 | 98 | 13쪽 | |
377 | 100 G 양양으로 간 유비(4) +19 | 16.03.28 | 1,772 | 90 | 11쪽 | |
376 | 100 G 양양으로 간 유비(3) +21 | 16.03.25 | 1,793 | 110 | 12쪽 | |
375 | 100 G 양양으로 간 유비(2) +20 | 16.03.24 | 1,803 | 108 | 11쪽 | |
374 | 100 G 양양으로 간 유비 +11 | 16.03.23 | 1,816 | 100 | 12쪽 | |
373 | 100 G 양굉의 삼인성호(三人成虎) 계책 +16 | 16.03.22 | 1,822 | 99 | 12쪽 | |
372 | 100 G 편지의 주인 +26 | 16.03.20 | 1,821 | 109 | 12쪽 | |
371 | 100 G 첩자는 기주군 내부에? +29 | 16.03.18 | 1,797 | 103 | 12쪽 | |
370 | 100 G 너무도 손쉬운 승리 +12 | 16.03.17 | 1,785 | 87 | 12쪽 | |
369 | 100 G 기이한 편지 +14 | 16.03.16 | 1,770 | 90 | 12쪽 | |
368 | 100 G 필사의 도주(2) +20 | 16.03.14 | 1,778 | 89 | 13쪽 | |
367 | 100 G 필사의 도주(1) +25 | 16.03.12 | 1,779 | 98 | 12쪽 | |
366 | 100 G 목표는 도응의 목! +14 | 16.03.10 | 1,789 | 94 | 12쪽 | |
365 | 100 G 완병지계는 성공했을까 +19 | 16.03.08 | 1,815 | 112 | 12쪽 | |
364 | 100 G 조조 일가의 참극 +21 | 16.03.07 | 1,885 | 102 | 13쪽 | |
363 | 100 G 방통, 조조를 유인하다 +7 | 16.03.05 | 1,834 | 97 | 12쪽 | |
362 | 100 G 혼전의 무대, 섭현 +16 | 16.03.04 | 1,834 | 110 | 12쪽 | |
361 | 100 G 양굉의 그림자(3) +17 | 16.03.03 | 1,869 | 113 | 12쪽 | |
360 | 100 G 양굉의 그림자(2) +18 | 16.03.01 | 1,862 | 119 | 12쪽 | |
359 | 100 G 양굉의 그림자(1) +23 | 16.02.28 | 1,875 | 115 | 11쪽 | |
358 | 100 G 봉추 방통 +7 | 16.02.27 | 1,923 | 93 | 12쪽 | |
357 | 100 G 재차 허도로 진격하다 +13 | 16.02.26 | 1,887 | 102 | 12쪽 | |
356 | 100 G 형주의 못생긴 문사 +17 | 16.02.24 | 1,966 | 125 | 14쪽 | |
355 | 100 G 관우의 비극 +26 | 16.02.22 | 2,001 | 132 | 12쪽 | |
354 | 100 G 유비를 쫓는 무리들 +17 | 16.02.21 | 1,919 | 97 | 11쪽 | |
353 | 100 G 원담군을 대파하다 +26 | 16.02.17 | 1,930 | 108 | 12쪽 | |
352 | 100 G 2차 관도대전(5) +14 | 16.02.15 | 1,926 | 107 | 12쪽 | |
351 | 100 G 2차 관도대전(4) +21 | 16.02.14 | 1,912 | 122 | 12쪽 | |
350 | 100 G 2차 관도대전(3) +10 | 16.02.13 | 1,925 | 109 | 13쪽 | |
349 | 100 G 2차 관도대전(2) +17 | 16.02.11 | 1,937 | 117 | 12쪽 | |
348 | FREE 2차 관도대전(1) +28 | 16.02.08 | 3,630 | 137 | 11쪽 | |
347 | 100 G 진상이 밝혀지다(2) +17 | 16.02.05 | 1,903 | 107 | 11쪽 | |
346 | 100 G 진상이 밝혀지다(1) +20 | 16.02.05 | 1,894 | 119 | 12쪽 | |
345 | 100 G 양굉 대 제갈량(3) +9 | 16.02.03 | 1,904 | 94 | 12쪽 | |
344 | 100 G 양굉 대 제갈량(2) +9 | 16.02.02 | 1,880 | 102 | 12쪽 | |
343 | 100 G 양굉 대 제갈량(1) +23 | 16.01.31 | 1,888 | 99 | 12쪽 | |
342 | 100 G 곽도를 둘러싼 심리전 +16 | 16.01.29 | 1,854 | 86 | 12쪽 | |
341 | 100 G 첫 패전 +24 | 16.01.28 | 1,857 | 98 | 11쪽 | |
340 | 100 G 투항을 권유하다 +8 | 16.01.27 | 1,876 | 93 | 12쪽 | |
339 | 100 G 적의 허점을 노려라! +5 | 16.01.26 | 1,879 | 93 | 12쪽 | |
338 | 100 G 다시 관도로! +11 | 16.01.24 | 1,908 | 109 | 12쪽 | |
337 | 100 G 제 무덤을 판 원담 +9 | 16.01.22 | 1,918 | 98 | 12쪽 | |
336 | 100 G 협상이 결렬되다 +11 | 16.01.21 | 1,905 | 101 | 12쪽 | |
335 | 100 G 화해를 권유하다(2) +6 | 16.01.19 | 1,904 | 98 | 11쪽 | |
334 | 100 G 화해를 권유하다(1) +18 | 16.01.18 | 1,935 | 113 | 12쪽 | |
333 | 100 G 원씨 내분의 결과 +24 | 16.01.15 | 1,958 | 128 | 11쪽 | |
332 | 100 G 원소의 전위(傳位) +17 | 16.01.14 | 1,960 | 125 | 13쪽 | |
331 | 100 G 원소가 쓰러지다 +17 | 16.01.13 | 1,973 | 117 | 12쪽 | |
330 | 100 G 원소, 허도에 입성하다 +14 | 16.01.11 | 1,983 | 117 | 12쪽 | |
329 | 100 G 효성스런 사위 +13 | 16.01.10 | 2,028 | 113 | 12쪽 | |
328 | 100 G 첫 대결(3) +34 | 16.01.08 | 1,983 | 110 | 12쪽 | |
327 | 100 G 첫 대결(2) +27 | 16.01.07 | 1,949 | 127 | 12쪽 | |
326 | 100 G 첫 대결(1) +23 | 16.01.06 | 1,976 | 105 | 12쪽 | |
325 | 100 G 제갈량 +22 | 16.01.05 | 2,068 | 106 | 13쪽 | |
324 | 100 G 허도 담판(2) +31 | 15.12.31 | 1,991 | 108 | 12쪽 | |
323 | 100 G 허도 담판(1) +24 | 15.12.30 | 1,979 | 97 | 12쪽 | |
322 | 100 G 뜻밖의 변고가 닥치다 +40 | 15.12.28 | 1,985 | 106 | 12쪽 | |
321 | 100 G 두 간웅의 대결(6) +21 | 15.12.27 | 1,967 | 127 | 12쪽 | |
320 | 100 G 두 간웅의 대결(5) +18 | 15.12.26 | 1,947 | 86 | 12쪽 | |
319 | 100 G 두 간웅의 대결(4) +13 | 15.12.23 | 1,964 | 89 | 11쪽 | |
318 | 100 G 두 간웅의 대결(3) +9 | 15.12.22 | 1,961 | 109 | 12쪽 | |
317 | 100 G 두 간웅의 대결(2) +13 | 15.12.21 | 1,950 | 101 | 12쪽 | |
316 | 100 G 두 간웅의 대결(1) +11 | 15.12.18 | 1,973 | 99 | 12쪽 | |
315 | 100 G 후발제인(後發制人) +8 | 15.12.17 | 1,993 | 101 | 11쪽 | |
314 | 100 G 올 것이 왔다!(2) +21 | 15.12.16 | 1,998 | 117 | 13쪽 | |
313 | 100 G 올 것이 왔다! +14 | 15.12.15 | 2,002 | 114 | 12쪽 |
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